वर्धा(महाराष्ट्र): ‘रोजगार, मजदूर और मुकम्मल माटी!’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार (ऑनलाइन संगोष्ठी) का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के हिंदी एवं तुलनात्मक साहित्य विभाग के सहायक आचार्य डॉ. बीरपाल सिंह ने मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित साहित्य और उनकी मजदूरों को समर्पित रचनाओं पर जोर डालते हुए मजदूरों की वर्तमान स्थिति पर गहराई से प्रकाश डाला। उन्होंने अपने वकतव्य में सरदार पूर्ण सिंह के विश्व प्रसिद्ध निबंध मजदूरी और प्रेम को आधार बनाते हुए विश्व परिदृश्य पर नित-प्रतिदिन में मजदूरों व श्रमिकों को दर्शाया। वहीं साहित्यक संदर्भ देते हुए आचरण की सभ्यता जैसे निबंध से श्रमिक वर्ग को समाज में पूज्यनीय दर्जे का बतलाया। उन्होंने जोर दिया कि समाज और श्रमिक वर्ग के बीच समानुभूति और व्यावहारिक मर्म आवश्यक है। हम सभी को प्रति डॉ.अंबेडकर, पेरियार रामास्वामी, पेरियार ललई सिंह जैसे अनेक प्रबुद्ध चिंतकों से वैश्विक स्तर पर श्रमिकों के जीवन संघर्ष का समाधान प्राप्त कर सकते हैं।
विशिष्ट वक्ता के रूप में रायपुर से जुड़े समाजकार्य विषय के अध्येता व सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. मुकेश कुमार ने अपने वक्तव्य की शुरुआत कार्ल मार्क्स के कथन से किया कि, “दुनिया के मजदूरों एकजुट हो जाओ; तुम्हारे पास खोने को कुछ भी नहीं है, सिवाय अपनी जंजीरों के.” कार्ल मार्क्स की यह पंक्ति आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उस समय थी। अपने वक्तव्य में उन्होंने कोरोना काल में मजदूर वर्ग की अनेक कठिनाइयों को पर प्रकाश डाला। उनके व्यवाहारिक उदाहरणों द्वारा देश दुनिया में प्रवासी मजदूरों के सामने मुकम्मल माटी की संकल्पना को पूरा करने के लिए श्रमिक वर्ग पर केंदित प्रयासों के को प्रारूप भी सामने लाया गया।
संगोष्ठी में विमर्श को आगे बढ़ाते हुए विशिष्ट वक्ता के रूप में वर्धा से ऑनलाइन जुड़े जनसंचार विभाग के सहायक प्रोफेसर संदीप वर्मा ने अनेक समकालीन उदाहरणों से सेवा प्रदाताओं और श्रमिकों के संघर्ष और संबंध को सुलझाने का व्यवाहारिक खाका तैयार करने की बात रखी। उन्होंने श्रमिकों के मानव संसाधन, संचार, प्रबंधन और संरक्षण पर नीतिगत, नैतिक और समर्थ अर्थव्यवस्था सुनिश्चित करने की बात रखी। वेबिनार मे डीएवी कॉलेज बीएचयू से जुड़े डॉ. विनोद कुमार चौधरी, सह-आचार्य एवं अध्यक्ष, इतिहास विभाग ने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्रमिक संगठनों व कृषि क्षेत्र से जुड़े विभिन्न उदाहरणों को बताया। अपनी बात रखते हुए उन्होंने मजदूरों के प्रति दायित्वों पर सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों में समुचित लक्ष्यों को निर्धारित करने का मुकम्मल प्रबंधन को भी आवश्यक बताया।
तीन सत्रों में तकनीकी रूप से जुड़कर इस कार्यक्रम का संचालन बौद्ध विद्या के अद्येयता धम्म रतन लामा एवं तकनीकी संचालन कुलदीप शर्मा, सहायक आचार्य, आर्य महिला पीजी कॉलेज, बीएचयू ने किया। इस धन्यवाद ज्ञापन तीनों संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने किया।
इस एक दिवसीय ऑनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन संकल्प एजुकेशनल एंड सोशल कमिटमेंट सोसाइटी, वर्धा स्कूल ऑफ थॉट एवं यूथ फ़ॉर स्वराज, हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा इकाई के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न किया गया। वेब कॉन्फ्रेंस के माध्यम से डॉ. अमित सिंह कुशवाहा, विनीता पटेल, श्रुतिकीर्ति निरंजन, नरेश गौतम, दीपेंद्र बाजपेयी, डिसेंट साहू, मो. नौशाद आलम वारसी, पंकज चौरसिया, योगेश कुमार जांगिड़, रविचंद्र राउत, सुधीर कुमार, प्रेरित बाथरी, शिवानी अग्रवाल, कु. आशु, अर्चना गौतम, अजय कुमार, अमृता घोष, चैताली, देश दीपक भास्कर, पुष्पा कुमारी, सीमा डागर, विवेक पटेल व देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं संस्थाओं के सैकड़ों प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।