प्रतीकात्मक तस्वीर (इंडियन एक्सप्रेस)

राहुल मिश्रा

कोरोना संक्रमण के कारण पिछले 1 महीने से हमारे देश की आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ी हुई है। रेल सेवाएं बंद है कारखाने बंद है। मजदूरों का शहरों से गांव की ओर पलायन हो रहा है,जीवन का हर क्षेत्र प्रभावित हो रहा है पर इन सब मे सबसे अधिक यदि कोई झेल रहा है तो वह है हमारे देश का किसान।उसके सामने अंधेरा ही अंधेरा छाया हुआ है,उसके सामने कोई रास्ता नहीं कि वह जाए तो जाए कहां और मदद की गुहार लगाएं तो लगाएं कहां।

हमारा देश कृषि प्रधान देश है आज भी हमारे देश की लगभग 70% जनसंख्या गांव में रहती है और इन सब के बीच औद्योगिक इकाइयों से लेकर सभी कारोबार अपने पुराने दिन वापस पाने की कोशिश में लगे हुए हैं मगर खेती इंतजार नहीं कर सकती। आज हमारे चारों तरफ बेचैनी का माहौल है आज हमारे देश के किसानों के सामने चुनौतियां दुगुनी हैं। पहली तो कोरोना संक्रमण से बचने की और दूसरी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को उबारने की आज हमारे देश के किसानों को कभी बीन मौसम वर्षा तो कभी कीड़ों से तो कभी उर्वरकों के अभाव की त्रासदी झेलनी पड़ रही है आज हमारे देश के किसानों के पास पैसे की कमी है। कृषि कर्ज के लिए बैंक किसानों को बार-बार दौड़ाते हैं। विभिन्न प्रकार के दस्तावेज मांगते हैं और साथ ही साथ इन सब के बीच समय इतना नष्ट हो जाता है कि इस कर्ज का भी कोई मतलब नहीं रह जाता।

इस बार तो किसानों पर प्रकृति की मार कुछ ज्यादा ही पड़ी है बेमौसम बारिश के कारण कई फसलें बर्बाद हो गए हैं इन सबके बीच सबसे बड़ी बात तो यह है कि ओला की मार से जिन फसलों में दाने आए थे वह भाग कर गए या फिर उसमें कीड़े लग गए। इन सबके बीच हमारे देश में प्रवासी श्रमिकों का शहरों से गांव की ओर जाना एक बहुत बड़ी समस्या के रूप में उभर रहा है। गांव में पहले से ही संसाधन कम थे और अब हिस्सेदारी भी बढ़ जाएगी इन सबके बीच प्रशासन को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए अतिरिक्त अनाज उपलब्ध कराया जाना चाहिए इसके साथ ही मनरेगा जैसी योजनाओं पर और ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।

प्रतीकात्मक तस्वीर (हिन्दुस्तान टाइम्स)

देश में जब से लाकडाउन है तब से किसानों के रबी की फसल की कटाई एवं गन्ने की फसल की बिक्री और भुगतान की चिंता है। विभिन्न राज्यों में गत वर्ष खरीदे गए अनाजों का बंपर स्टोर भी जमा है। जबकि इस वर्ष नए गोदाम का निर्माण ना होने के कारण फसलों का सुरक्षित भंडारण कहां और किस तरह किया जाएगा यह सबसे बड़ा सवाल है। इन सबके बीच यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो कृषि क्षेत्र का यह संकट देश को आने वाले समय में एक गंभीर खाद्य सुरक्षा संकट में डाल सकता है।

कोरोना संक्रमण से प्रभावित लोगों की मदद के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं हुई है खासकर मजदूरों के कल्याण के लिए कई योजनाओं के तहत आर्थिक सहायता भी उपलब्ध कराया जा रहा है। राशन दिया जा रहा है। मजदूरों के अकाउंट में सीधे पैसे डाले जा रहे हैं और किसानों को सरकार की बड़ी-बड़ी सुविधाएं नहीं मिल रही है। ईमानदार सरकार के लिए किसानो के लिए ईमानदार कोशिश सामने आनी चाहिए और यही समय सही समय है आज किसानों को मजदूर का दर्जा दिया जाना चाहिए |किसानों को मजदूर का दर्जा देकर मजदूर की सभी सुविधाएं उन्हें भी देनी चाहिए , इसमें मध्यम दर्जे के किसानों को भी शामिल करना चाहिए। लागत मूल्य में वृद्धि के कारण मध्यम दर्जे के किसानों की स्थिति भी ख़राब है। रबी की फसल का निस्तारण करने के बाद किसानों को तुरंत ही खरीफ की फसल बोने की तैयारी करनी होगी इसलिए हमारे पास आज समय भी बहुत ज्यादा नहीं है इसके साथ ही सरकार को तुरंत डीजल के दाम में कमी करके किसानों को राहत देनी चाहिए इससे तमाम उत्पादों की परिवहन लागत में भी कमी आएगी। विश्व बाजार में कच्चे तेल के दामों में गिरावट से सरकार को राहत मिली है, इसे चालू खाते के घाटे और बजटीय घाटे में भी कमी आएगी इस समय जहां यह भी जरूरी है कि किसानों के कर्ज की वसूली फिलहाल रोक दी जाए तो वहीं उन्हें खरीफ की फसल के लिए ब्याज मुक्त कर्ज मुहैया कराने की भी जरूरत है। किसान ही हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है इसलिए किसानों को उनके अधिकार और मेहनत का फल मिलना ही चाहिए।