केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में प्लाज्मा दान अभियान की शुरुआत की. इस मौके पर मंत्री ने दिल्ली पुलिस का आभार व्यक्त किया. मंत्री ने कहा कि यह बहुत दु:खद बात है कि कोरोना के कारण दिल्ली पुलिस के एक दर्जन कर्मियों की तैनाती करने का एक महान कार्य कर रहे हैं, जबकि कंटेनमेंट जोनों की संख्या अब 200 से बढ़कर 600 तक हो गई है.
डॉ. हर्षवर्धन ने 26 पुलिसकर्मी को प्रमाणपत्र देकर, इन स्वयंसेवकों के योगदान की सराहाना की. इन कर्मियों में आज तीसरी बार अपना प्लाज्मा दान कर रहे थे. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इन दानों का प्रभाव देश के अन्य नागरिकों पर लंबे समय तक पड़ेगा और उन्हें अपना प्लाज्मा दान करने के लिए प्रेरित करता रहेगा. उन्होंने कहा कि कोविड-19 के खिलाफ जीत की हमारी यात्रा में प्रत्येक डोनर महत्वपूर्ण है और इस महामारी के लिए एक निश्चित उपचार या टीका विकसित होने तक यही ज्यादा से ज्यादा कोरोना युद्धा ही इस लड़ाई में मददगार होंगे.
उन्होंने इस रणनीति की अपार संभावनाओं को स्वीकार किया और सरकार द्वारा इसका उपयोग करने की इच्छाशक्ति को सुनिश्चित करने के लिए, विभिन्न प्लाज्मा थैरेपी को मंजूरी प्रदान की गई है. इस तथ्य के बावजूद कि भारत में कोविड-19 रोगियों के ठीक होने की इस दर सबसे अधिक में से एक है, प्लाज्मा दान में अभी तेजी आना बाकी है. मुझे इस बात की खुशी है कि एम्स,नई दिल्ली द्वारा पुलिस के कोरोना योद्धाओं के सहयोग से, इस प्लाज्मा दान अभियान का आयोजन किया जा रहा है.
1994 में पल्स पोलियो अभियान की सफलता के अभिन्न अंग के रुप में दिल्ली पुलिस के योगदान को याद करते हुए, डॉ.हर्षवर्धन ने कहा कि कई हजार पुलिस कांस्टेबल इस अभियान में शामिल हुए थे और एक विशाल जागरुकता अभियान चलाया था. उन्होंने याद किया, इसके लिए 100 नंबर को भी समर्पित किया गया था.
कोविड-19 से ठीक हुए रोगियों से प्राप्त प्लाज्मा नोवेल सार्स-सीओवी-2 वायरस के लिए सुरक्षात्मक एंटीबॉडी होती है. जब इसे शरीर में प्रवेश कराया जाता है तब यह कोविड-19 के रोगियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न कर सकता है. इसके संभावित लाभ को ध्यान में रखते हुए, प्लाज्मा थैरेपी उन रोगियों को प्रदान की जाती है जो पांरपरिक उपचार से ठीक नहीं हो पा रहे हैं. कोई भी व्यक्ति जो कोविड-19 से ठीक हो चुका है, और उपचार या होम आइसोलेशन के बाद 28 दिन पूरा कर चुका है,जिसका वजन 50 किलो से ज्यादा है और जिसके उम्र 18 से 60 वर्ष के बीच है, वह अपने रक्त प्लाज्मा को दान कर सकता है.उनके द्वारा प्लाज्मा दान करने से पहले,ब्लड बैंक द्वारा रक्तदान के लिए सुरक्षात्मक एंटीबॉडी का एक उच्च जमाव होता है और जब इसे एक अतिसंवेदनशील व्यक्ति को दिया जाता है,तो ये एंटीबॉडी रक्त में फैल जाती हैं. प्लाज्मा दान की प्रकिया एक से तीन घंटे में पूरी हो जाती है और उसी दिन प्लाज्मा को एकत्रित किया जा सकता है.