शशांक सिंह
एक दौर था जब क्रिकेट के खेल में दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों का दबदबा रहा। यहाँ तक कहा जाने लगा था कि , अगर आपका सेलेक्सन मुम्बई की रणजी या दिल्ली की रणजी टीम में हो जाता है तो समझो कि आप 75 फीसदी भारतीय टीम में सेलेक्ट होंगे क्योंकि उस समय क्रिकेट का मतलब ही बम्बई और दिल्ली जैसे बड़े शहर,बड़े क्रिकेट क्लब से संबंध रखने वाले लोगों से था।
एक दौर तो भारतीय क्रिकेट में ऐसा भी आया जब 11 प्लेयर में से 7 मुम्बई के और 4 दिल्ली के थे निष्कर्ष रूप में कहें तो पूरा का पूरा दबदबा था इन दो जगहों से आने वाले लोगों का। क्रिकेट का मतलब ही हो गया था यह खेल बड़े शहरों से आने वाले लड़कों के लिए ही बना है। गाँव ,कस्बों का युवा नीली जर्सी पहनने के अपने ख्वाब का गला घोंट दे,ऐसा कोई सपना न देखे।
लेकिन रांची के धोनी ने इस बात को साबित किया कि ” छोटे शहर से भी बड़े खिलाड़ी ” निकल सकते हैं । क्रिकेट में बड़े बालों वाले धोनी के आने से यह खेल उस गली-मोहल्ले , खेत-खलिहान,मोड़-मैदान तक पहुँचा , जहाँ तक किसी ने सोचा भी नहीं होगा।
एक चीज मैंने महसूस किया कि,धोनी के क्रिकेटर बनने से गाँव गरीब का लड़का जो पहले दिन भर गोली खेलता था , ताश खेलता था,लट्टू नचाता था, अब वो भी बैट-बल्ला खेलने लगा था अब वह भी माही जैसा बनने का सपना बुनने लगा था । माही की तरह शाट लगाने का प्रयास करता और गाँव का हर बल्लेबाज एक बार जरूर धोनी का ट्रेडमार्क “हेलीकॉप्टर शाट” लगाने की कोशिश करता। धोनी अपने खेल से आज करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों के पसंदीदा बन चुके थे।
जब हर कोई उम्मीद खो बैठता था तो अनहोनी को होनी करने के लिए धोनी क्रीज पर आ चुके होते थे । उनके कई बार ऐसा करने से एक नया नारा गढ़ा गया -“जो अनहोनी को होनी कर दे वही है महेन्द्र सिंह धोनी”,”जो गेंदबाजों को धो दे वो धोनी “।
मैं व्यक्तिगत रूप से कभी धोनी का प्रशंसक नहीं रहा पर अब उनका समर्थक हूँ।
कारण – जिसने अपने खेल से न जाने कितने गाँव – गली के बच्चों को एक आशा की किरण दिखाई , कि तुम भी एक दिन अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और संघर्ष के बलबूते अपने सपनों को जी सकते हो और उसे पूरा कर सकते हो । अपने खड़े होने के लिए मजबूत जमीन तलाश सकते हो , अपना आसमान बन सकते हो।
धन्यवाद धोनी ………..
(लेखक इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र हैं। लेख में उनके निजी विचार हैं।)