मुन्नवर राणा

रामाशीष यादव

उर्दू शायरी व दिलकश अदा के लिये देश-दुनिया में मशहूर शायर मुनव्वर राणा पर अब तक शायरी के द्वारा सांप्रदायिकता फैलाने का आरोप लगता रहा है! लेकिन अब कविता चोरी का आरोप लगा है। सोशल मीडिया पर उन्हें चोर कहा जा रहा है।

दरअसल उन्होंने अपने एक ट्वीट में भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा पर कटाक्ष किया था कि देश में 100 करोड़ जानवर और 35 करोड़ इंसान हैं। राणा का यह ट्वीट यूजर्स को नागवार गुजरी और उनपर हिन्दुओं को जानवर और मुसलमानों को इंसान कहने का आरोप लगाकर सभी टूट पड़े। हालांकि बाद में शायर राणा सफाई देते नजर आये कि हमारे ट्वीट को तोड़ मरोड़ा गया है। 35 करोड़ को उन्होंने ख़ुशहाल जीवन जीने वाले और 100 करोड़ को बुनियादी हुक़ूक़ से महरूम बताया। राणा के सफाई के बाद हिन्दू-मुसलमान की यह बहस रूकेगी या नहीं फिलहाल इसपर कोई राय बनाना ठीक नहीं है।

जिस बात की बात मैं करना चाहता हूं उनका यह ट्वीट नहीं, बल्कि इस विवाद के आड़ में उनके चोर होने का मामला प्रकाश में आया है, उसपर बात होगी। 100 करोड़ जानवर व 35 करोड़ इंसान वाले अपने ट्वीट को मुनव्वर अभी झेल ही रहे थे कि उनपर चोरी का भी आरोप लग गया है। कविता चोरी का आरोप। यह मामला भी तुल पकड़ लिया है। इतिहास में दबा मुनव्वर से जुड़ा यह विवाद भी खुदबुदाने लगा है।

जाने माने टीवी पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने अपने ट्वीटर वॉल पर एक पत्र साझा किया है, जो मुनव्वर राणा के नाम देश के मशहूर हिन्दी कवि आलोक श्रीवास्तव के नाम से लिखा गया है। यह पत्र 30, मई 2003 में लिखा गया है, जिसमें आलोक ने साहित्यिक अंदाज में मुनव्वर को चोर कहा है।

इस मामले का खुलासा करने वाले पोस्टु में राणा को टैग करते हुए पत्रकार अशोक ने लिखा है कि “पुष्टि के बाद पुनः यह पत्र ट्वीट कर रहा हूँ। जिस नज़्म “मेरे हिस्से में माँ आई” की कमाई @MunawwarRana, ज़िंदगी भर खाते रहे, वो @AalokTweet, जी की कविता की कॉपी है। #MunawwarRana ने खत का आज तक जवाब नहीं दिया, बेशर्मी से चुराई नज़्म पर पुरस्कार और तालियां बटोरते रहे।”

दरअसल यह वही “माँ” नज्मं है जिसके लिये मुनव्वर राणा मशहूर हुए। कई बड़े-बड़े जगहों पर मशहूर कवि कुमार विश्वास ने भी इस नज्म का श्रेय राणा को ही दिया है। राणा रोटी और ताली दोनों इस शेर को पढ़कर बटोरते रहे,लेकिन जब से पत्रकार अशोक ने आलोक श्रीवास्तव का पत्र सोशल मीडिया पर पोस्ट’ कर मुनव्वर राणा से जवाब मांगना शुरू किया है, तब से उनके प्रशंसकों सहित अन्य बहुतों के मन में एक टीस भर गयी है कि-तो शायरी भी चुराते हैं देश के मशहूर शायर मुनव्वर राणा!

कुछ दिन पहले ही अम्माु नज्म आलोक ने अपने फेसबुक पेज पर शेयर किया था तो मैं भी हतप्रभ रह गया था कि वास्तव में नज्म के साथ किसने छेड़छाड़ की है,आलोक ने या राणा ने? लेकिन अशोक द्वारा जारी पत्र के अनुसार तो यही सिद्ध होता है कि मुनव्वर राणा ने ही छेड़छाड़ की है। यह टिप्प्णी जारी होने तक राणा के तरफ से कोई बयान नहीं आया।

प्रशंसक आनन्द सिंह ने व्यथित मन से लिखा है कि आदरणीय @MunawwarRana साहब, हम प्रशंसकों के लिए ये दुःखद है। वैसे तो मैं @AalokTweet भइया का भी मुरीद हूँ, लेकिन आपको सुन के अदब से नाता जुड़ा था। बहुत ढूंढा मुनव्वर साहब लेकिन नहीं मिला आपकी तरफ से कुछ। क्या ये सही है ?

आलोक ने लिखा – बाबूजी गुजरे..आपस में सब चीजें तकसीम हुईं।

मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से आई अम्मा।”

मुनव्वर राणा ने जिस शेर को अपना बताया है, ये रहा–

किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई,
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई।

उल्लेखनीय है कि सोशल मीडिया पर कवि आलोक श्रीवास्तव ने इस मामले से जुड़े कई ट्वीट को रीट्वीट किया है, जिसका तात्पर्य यही है कि हाँ यह आरोप उन्होंने लगाया है और राणा ने उनकी नज्म से छेड़छाड़ की है। आपको बता दें कि यदि कोई इस प्रकार का कृत्य करता है तो इसे लेखन विधा में ‘साहित्यिक चोरी’ कहा जाता है। यह मामला कॉपीराइट की श्रेणी में आता है।

(यह लेखक के निजी विचार हैं।)