अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, देश की आकाँक्षाओं के अनुरूप आधुनिक भारत को गढ़ने में महत्वपूर्ण बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के कदम का हार्दिक स्वागत करती है। भारत का प्रबुद्ध नागरिक राष्ट्रीय शिक्षा नीति के द्वारा प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक के क्षेत्र में बडे परिवर्तनों की अपेक्षा लंबे समय से कर रहा था।

भारतीय शिक्षा व्यवस्था में ज्ञान आधारित, रोजगारोन्मुख, तकनीक युक्त तथा विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास में सहायक शिक्षा के अनुरूप सुधार हो यह भारत का आम नागरिक भी चाहता था। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, आम भारतीय के उपर्युक्त अपेक्षाओं के अनुरूप उतरेगी।

अभाविप की राष्ट्रीय महामंत्री सुश्री निधि त्रिपाठी ने कहा कि, “भारतीय मूल्यों के अनुरूप तथा वैश्विक मानकों पर खरा उतरने योग्य शिक्षा नीति की आवश्यकता देश को लंबे समय से थी, जिन बड़े सुधारों की आवश्यकता भारत की जनता लंबे समय से कर रही थी, उन सुधारों पर सरकार ने ध्यान दिया है। हम आशा करते हैं कि ये परिवर्तन करोड़ों की संख्या वाले भारतीय छात्र समुदाय के सपनों को पंख देगा। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि बिना किसी देरी के नए सुधार जमीनी स्तर पर संभव‌ हों। राष्ट्रीय शिक्षा नीति हेतु अहर्निश कार्य करने वाले समिति के सभी सदस्यों तथा भारत सरकार का बहुत-बहुत धन्यवाद तथा अभिनन्दन।”

अखिल भारतीय विश्वविद्यालय कार्य प्रमुख श्री श्रीहरि बोरिकर ने कहा कि,“कैबिनेट द्वारा स्वीकृत नई शिक्षा नीति स्वागतयोग्य है। नए भारत की आकांक्षाओं को गतिमान करने में यह नीति कारगर सिद्ध होगी। भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए यह युवाओं को उचित संबल व तैयारी उपलब्ध कराएगी जिससे वे भविष्य के लिए तैयार हो सकें,ऐसी आशा हम सबको है।”

राष्ट्रीय मंत्री श्री राहुल वाल्मीकि ने कहा कि,“समावेशी शिक्षा के साथ ही कौशल विकास के प्रावधानों से युक्त इस शिक्षा नीति से रोजगार के क्षेत्र में भी युवाओं के लिए अपार संभावनाएं विकसित होंगी।शारीरिक शिक्षा से जुड़े विषयों जैसे-योग,क्रिटिकल ट्रेनिंग आदि से भी शिक्षा रोचक बनेगी।भारत की संस्कृति से जुड़ी यह शिक्षा नीति सांस्कृतिक संरक्षण व प्रोत्साहन में सहायक होगी।”

प्रान्त मंत्री अंकित शुक्ला ने कहा कि,“34 वर्षों बाद इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति को कैबिनेट में मंजूरी मिलना शिक्षा क्षेत्र में हर्ष का विषय है।भारतकेन्द्रित यह शिक्षा नीति देश में बड़े सकारात्मक परिवर्तन की वाहक बने,इस हेतु इसका शीघ्र क्रियान्वयन अति आवश्यक है।”