प्रभुनाथ शुक्ला

भदोही, 12 जुलाई। ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार आचार्य श्रीकांत शास्त्री ने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से मांग की है कि शिक्षक एमएलसी की तरह पत्रकार एमएलसी की घोषणा की जाय।

देश भर में डाक्टरों व अधिवक्ताओं के लिए मेडिकल काउंसिल और बार काउंसिल काम करती है।निर्वाचित पदाधिकारी देश- प्रदेश और जिला स्तर पर उनके समस्याओं के समाधान के लिए कार्य करते हैं। ठीक उसी प्रकार पत्रकारों के लिए भी ऐसा कुछ होना चाहिए। शास्त्री ने रविवार को सरकारों से मांग करते हुए कहा है कि उपरोक्त की भांति निर्देश जारी किया जाय। देश की उपरोक्त संस्थाएं अपने विधा के लोगों का चुनाव कराती हैं। उसी प्रकार से पीसीआई भी पत्रकारों के लिए देश और राज्य में चुनाव संपन्न कराएं।

शास्त्री ने कहा कि इससे यह फायदा होगा कि जिस प्रकार से अधिवक्ताओं, डॉक्टरों, शिक्षकों आदि की समस्याओं के निदान हेतु उनके उनके विधा के लोग कार्य करते हैं। उसी प्रकार से पत्रकारों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से निर्वाचित लोग देश, प्रदेश व जिला स्तर पर कार्य करेंगे। ताकि कानूनी तौर पर पत्रकार की परिभाषा तय हो सके वर्तमान में पत्रकार केवल नाम का चौथा स्तम्भ रहा है ऐसे में पत्रकार की कोई परिभाषा नहीं है।

शास्त्री ने यह भी कहा कि इसी में नेशनल जर्नलिस्ट रजिस्टर भी तैयार हो जाएगा। इससे यह लाभ होगा कि सरकार द्वारा पत्रकारों के लिए चलाई गई कल्याणकारी योजना पत्रकारों को सुचारु रुप से मिल पाएगी। नहीं तो देश के पत्रकारों को वास्तविक सुविधा कभी भी नहीं मिल पाएगी। साथ ही पत्रकारों की सुरक्षा के लिए बने कानून भी सख्ती से लागू हों, जिससे देश के पत्रकार वास्तविक एवं राष्ट्रहित में न्यायपूर्ण बिना दबाव के अपना कार्य कर सकें।

शास्त्री ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई एवं पूर्व उपराष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत के द्वारा कही गई बातों का उदाहरण देते हुए कहा कि पत्रकार जनता एवं सरकार के आंख और मुंह के रूप में होते हैं। पत्रकार जनता की समस्या सरकार तक पहुंचाते हैं। जबकि जनकल्याणकारी नीतियों को जनता तक पहुंचाते है।शास्त्री ने यह भी कहा कि तीनों स्तंभों की तरह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ (पत्रकार) को भी पेंशन आदि की सुविधा दी जानी चाहिए।

इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि जिस प्रकार से डॉक्टरों, अधिवक्ताओं, प्रशासनिक अधिकारियों, पुलिस बलों आदि के लिए पूरे देश में एक कानून है और एक नियम है उसी प्रकार से पत्रकारों का भी एक नियम एक कानून होना चाहिए। देश का हर पत्रकार राष्ट्रहित सर्वोपरि रखते हुए अपने दायित्वों का पूरा का पूरा निर्वहन करता है। उसके साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव रखना बहुत ही दु:खद है। देश के हर पत्रकारों को भी सामुदायिक बीमा योजना के तहत शामिल किया जाना चाहिए।