लॉकडाउन बढ़ाने के साथ ही सरकार द्वारा देश के विभिन्न जिलों को रेड, ग्रीन और ऑरेंज ज़ोन में बांट दिया गया है। जिलों को उनके ग्रीन, रेड और ऑरेंज जोन में होने के आधार पर ही रियायतें या ढील दी गई है।
किस आधार पर किया गया है ज़ोन निर्धारित?
ग्रीन ज़ोन ऐसे जिले होंगे जहां या तो अब तक संक्रमण का कोई भी कन्फर्म मामला नहीं आया है या फिर पिछले 21 दिनों में कोई मामला सामने नहीं आया है।
रेड जोन के रूप में जिलों का वर्गीकरण करते समय उस जिले के सक्रिय मामलों की कुल संख्या, कन्फर्म मामले दोगुनी होने की दर, जिलों से प्राप्त कुल परीक्षण (टेस्टिंग) और निगरानी सुविधा संबंधी जानकारियों को ध्यान में रखा गया है।
ऑरेंज ज़ोन वे जिले हैं, जिन्हें न तो रेड जोन और न ही ग्रीन जोन के रूप में परिभाषित किया गया है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ हर सप्ताह या आवश्यकतानुसार पहले साझा किया जाएगा रेड, ऑरेंज और ग्रीन जिलों के वर्गीकरण किये जाएंगे।
नगर निगम वाले जिलों की व्यवस्था कैसे की गयी है?
देश के कई जिलों की सीमाओं में एक या एक से अधिक नगर निगम हैं। जनसंख्या घनत्व अधिक होने और लोगों का मिलना-जुलना अधिक होने के कारण नगर निगम की सीमा के भीतर कोविड-19 के मामले बाकी हिस्सों की तुलना में अधिक देखे गए हैं। ऐसे जिलों को दो जोन में वर्गीकृत किया गया है। पहला जोन वो जो नगर निगम की सीमा के अंतर्गत आने वाला होगा। और दूसरा जोन वो जो नगर निगम की सीमा के बाहर आने वाला होगा यदि नगर निगम की सीमा के बाहर आने वाले क्षेत्र में पिछले 21 दिनों से कोई मामला सामने नहीं आया है, तो इसे रेड या ऑरेंज जोन के रूप में जिले के समग्र वर्गीकरण से एक पायदान नीचे वर्गीकृत किया जाएगा। इसका उद्देश्य यह है कि इस वर्गीकरण से जिले के उस क्षेत्र में और भी अधिक आर्थिक एवं अन्य गतिविधियां या कार्य किये जा सकेंगे, जो कोविड-19 के मामलों से अपेक्षाकृत कम प्रभावित हैं और इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि निरंतर पूरी सावधानी बरती जाए, ताकि ये क्षेत्र आगे भी कोविड-19 के मामलों से मुक्त रहें। यह व्यवस्था केवल नगर निगम वाले जिलों के संबंध में ही की गई है।
रेड और ऑरेंज जोन में कैसी व्यवस्था है?
रेड एवं ऑरेंज जोन के अंतर्गत देश के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों को कंटेनमेंट जोन के रूप में मार्क किया गया है। ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां संक्रमण फैलने का सबसे ज्यादा खतरा है। स्थानीय प्राधिकारियों को यह निर्देश दिए गए हैं कंटेनमेंट जोन के निवासियों के बीच वह आरोग्य सेतु एप की 100% कवरेज सुनिश्चित करें। कंटेनमेंट जोन के लिए निगरानी प्रोटोकॉल भी बनाये गए हैं। जिनमें मरीज के संपर्क में आए लोगों का पता लगाना, घर-घर की निगरानी, किसी व्यक्ति से जुड़े जोखिम के आकलन के आधार पर उसका होम/संस्थागत क्वारंटाइन और नैदानिक प्रबंधन भी शामिल किया गया है। कंटेनमेंट जोन के भीतर किसी भी अन्य गतिविधि या कार्य की अनुमति नहीं दी गयी है।