रविवार से ही सोशल मीडिया पर टिकट की फोटो वायरल होने लगी जिसमें यह बताया जा रहा है कि प्रवासी मजदूरों को ट्रेन में अपने घरों तक जाने के लिए दोगुना किराया देना पड़ रहा है।

#TNN ने पीआईबी की फैक्टचेक टीम को वायरल हो रहे टिकट की फ़ोटो भेजी जिसके रिप्लाई में उन्होंने कहा कि यह राज्य सरकार का मामला है और एप्पलीकेशन को महाराष्ट्र सरकार के नोडल ऑफिसर को ट्रांसफर कर दिया गया है। इसके साथ ही सूत्रों के हवाले से हमें यह जानकारी मिली कि ‘राज्य सरकारें’ ये पैसा वसूल रही हैं। और यह कहा जा रहा है कि केंद्र और राज्य किराए के 85:15 वाले मॉडल पर बातचीत कर रही है और जल्द ही इसपर निर्णय भी लिया जाएगा। 85:15 के मॉडल पर सबसे पहले सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने यह कहा कि, उनकी रेल मंत्री पीयूष गोयल से बात हुई है जिसमें उन्होंने कहा है कि सरकार इसपर बातचीत कर रही है।

रेलवे का क्या कहना है?
एएनआई ने सूत्रों से पता करके यह ट्वीट किया है कि,’रेलवे राज्य सरकारों से इस वर्ग के लिए केवल मानक किराया वसूल रहा है जो रेलवे द्वारा ली जाने वाली कुल लागत का महज 15% है। रेलवे प्रवासियों को कोई टिकट नहीं बेच रहा है और केवल राज्यों द्वारा प्रदान की गई सूचियों के आधार पर यात्रियों को यात्रा करवा रहा है’। इसके साथ उन्होंने कहा रेलवे ने देश के विभिन्न हिस्सों से अब तक 34 श्रमिक विशेष ट्रेनें चलाई हैं और संकट के इस समय में विशेष रूप से गरीब से गरीब लोगों को सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा प्रदान करने की अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को पूरा कर रही है। सोशल डिस्टेंसिंग को देखते हुए एक ट्रेन में कम ही लोगों को जाने की इजाज़त दी जा रही है।
Railways not selling tickets to migrants, charging standard fare in Shramik special trains from State Govts: Sources
Read @ANI Story | https://t.co/H73yWcLkir pic.twitter.com/JxsALRpvYo
— ANI Digital (@ani_digital) May 4, 2020
गृह मंत्रालय द्वारा क्या निर्देश दिए गए थे?
सरकर द्वारा 1 मई को लॉकडाउन की अवधि को बढ़ा दिया गया है। वैसे तो लॉकडाउन 2.0 की शुरूआत से ही प्रवासी मजदूरों को उनके घर ले जाने की बात कही जा रही थी लेकिन लॉकडाउन 3.0 जैसे ही शुरू हुआ यह राजनीतिक मसला बनता चला गया। राज्य सरकारों के आग्रह पर प्रवासी मजदूरों के लिए ट्रेन की व्यवस्था करवाई गयी जिसके बाद 1 मार्च को गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देश के अनुसार, लॉकडाउन के कारण विभिन्न स्थानों पर फंसे प्रवासी मजदूरों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों, छात्रों और अन्य व्यक्तियों को विभिन्न स्थानों पर ले जाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने का निर्णय लिया गया।
गृह मंत्रालय द्वारा यह आदेश भी दिया गया कि यात्रियों को भेजने वाले राज्यों द्वारा उनकी जांच की जाएगी और यात्रा की अनुमति केवल उन्हीं लोगों को दी जाएगी जिनमें कोई लक्षण नहीं पाया जायेगा। भेजने वाली राज्य सरकारों को इन लोगों को ट्रेन में बिठाने के लिए निर्धारित रेलवे स्टेशन तक सैनिटाइज्ड बसों में बैठाकर सामाजिक दूरी के नियमों और अन्य सावधानियों का पालन करते हुए जत्थों में लाना होगा।
भेजने वाले राज्यों द्वारा शुरुआती स्टेशन पर उनके लिए भोजन और पानी उपलब्ध कराया जाएगा।
कैसे इन ट्रेनों में सफर किया जाएगा?
रेल मंत्रालय ने 2 मई 2020 को ही यह दिशा-निर्देश जारी किए थे कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन करने के लिए निर्धारित गंतव्य के अनुसार राज्य द्वारा दी गई यात्रियों की संख्या के अनुसार ट्रेन टिकट की छपाई की जाएगी। राज्य सरकार ही स्थानीय अधिकारी यात्रियों को टिकट देगा और उनसे किराया इकट्ठा करके रेलवे को देगा।
Guidelines to operate ‘Shramik Trains’-Railways to print train tickets to specified destination as per no. of passengers indicated by originating state.Local state govt authority to handover tickets to passengers&collect ticket fare&handover total amount to Railways: Railways Min pic.twitter.com/JAAsZW9YEr
— ANI (@ANI) May 3, 2020
रेलवे मंत्रालय द्वारा जारी निर्देश में यही भी कहा गया था कि, रेलवे केवल राज्य सरकारों द्वारा लाये गये एवं निर्धारित किये गये यात्रियों को ही स्वीकार कर रहा है। अन्य किसी यात्री समूह या व्यक्ति को स्टेशन पर नहीं आना है। कुछ विशेष रेलगाड़ियों को केवल राज्य सरकारों के अनुरोध पर चलाया जा रहा है। और किसी भी स्टेशन पर कोई टिकट नहीं बेचा जा रहा है।
रेलवे केवल राज्य सरकारों द्वारा लाये गये एवं निर्धारित किये गये यात्रियों को ही स्वीकार कर रहा है।
विपक्षियों के आरोप:
अब कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने यह आरोप लगाया है कि इस संकट के वक्त में भी केंद्र सरकार मजदूरों से टिकट का पैसा वसूल रही है।
कांग्रेस अध्यक्षा, श्रीमती सोनिया गांधी का बयान
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक व कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी व इस बारे जरूरी कदम उठाएगी। pic.twitter.com/DWo3VZtns0
— Congress (@INCIndia) May 4, 2020
इस ट्वीट के बाद ही भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने राहुल गांधी को जवाब देते हुए लिखा कि मजदूरों की टिकट का खर्च केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर उठा रही हैं। भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने लिखा, ‘राहुल गांधी जी, मैंने यहां आपके लिए गृह मंत्रालय की गाइडलाइन्स दी हैं, जिसमें साफ लिखा है कि स्टेशन पर कोई टिकट नहीं बिकेगा। रेलवे 85 फीसदी सब्सिडी दे रहा है, राज्य सरकारों को 15 फीसदी सब्सिडी देनी है’।
And this is how the Congress ruled State Governments can pay the 15% for the Migrant workers (85% being taken care of by the Railways) rather than politicising the otherwise smooth process taken up by the railways. https://t.co/Axtmen5nY9 pic.twitter.com/RNQdcfNBvB
— Sambit Patra (@sambitswaraj) May 4, 2020
अब कई राज्य सरकारें भी प्रवासियों की मदद के लिए सामने आयी हैं। प्रवासियों का रेल खर्च देने की बात राज्य सरकारों द्वारा कही जा रही है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी यह ऐलान किया कि बाहर से आए लोगों को स्टेशन से उनके निवास स्थान के प्रखंड मुख्यालय ले जाया जाएगा। जब वो 21 दिनों के क्वारंटीन के बाद वहां से निकलेंगे तो उन्हें रेल भाड़े से लेकर यहां पहुंचने में जितना खर्च आया वो उसके अलावा 500 रुपए तथा 1000 रुपए की अतिरिक्त राशि भी देगी।
इससे पहले भी कई मंत्री कर चुके हैं निवेदन:
केंद्र सरकार के तरफ से जारी श्रमिक स्पेशल ट्रेन की नियम के मुताबिक प्रवासी मजदूरों का किराया वहां की राज्य सरकार वहन करेंगी, जहां मजदूर जा रहे है। लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं दिख रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रवासी मजदूरों से पैसे वसूले जा रहे हैं।
रेल मंत्रालय के तरफ से जारी दिशा-निर्देश में श्रमिक स्पेशल ट्रेन से सवारी करने वाले प्रवासी मजदूरों को टिकट लेने की जरूरत नहीं है। ट्रेन में प्रवासी मजदूर को स्लीपर क्लास में यात्रा करने की व्यवस्था की गई है। स्लीपर क्लास में यात्रियों को 30 रुपये का सुपरफास्ट शुल्क और 20 रुपये में भोजन-पानी के शुल्क शामिल रहेंगे। हालांकि, रेलवे ने स्पष्ट किया है कि यात्रियों को पैसे नहीं देने होंगे। उनके खर्च का वहन राज्य सरकारें करेंगी, जहां प्रवासी मजदूर जाएंगे।
हालांकि इससे पहले भी राज्य सरकारों द्वारा यह निवेदन किया जा रहा था कि केंद्र को इन ट्रेनों को निःशुल्क चलवाना चाहिए। छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 2 मई को भी रेल मंत्री पीयूष गोयल को यह पत्र लिखा था कि ट्रेन निःशुल्क होनी चाहिए।
केंद्रीय रेल मंत्री श्री पीयूष गोयल जी को पत्र लिखकर मजदूरों, छात्रों, परिवारों और लोगों की वापसी के लिए सुचारू आवागमन हेतु ट्रेन संचालन के लिए अनुरोध किया। pic.twitter.com/xQGCSkoGmZ
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) May 2, 2020