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जहां एक तरफ अमेरिका कोरोना वायरस की महामारी को झेल रहा है। वहीं, अश्वेतों के साथ बुरा बर्ताव को लेकर अमेरिका एक बार फिर से उबल रहा है। मिनेपोलिस में 46 वर्षीय जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद पूरे अमेरिका में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं। लोग सड़कों पर उतर गए हैं प्रदर्शन के लिए। यहां तक कि इसकी आंच व्हाइट हाउस तक भी पहुंच चुकी है। हालांकि, यह कोई पहला मौका नहीं है जब अमेरिका में अश्वेतों के साथ हो रहे बुरे बर्ताव पर लोग सड़कों पर उतरे हैं।

अब अमेरिका में हालत इतने तनाव पूर्ण हो चुके हैं कि लोगों ने पुलिस थानों को आग लगा दी, जहां पर आरोपी पुलिसकर्मी काम करते थे। आरोपी पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया है,लेकिन अश्वेत समुदाय के लोग आरोपियों पर हत्या का मुकदमा चलाने की मांग कर रहे हैं लोग 5 दिन से सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करने कर रहे हैं।

प्रदर्शन में एंटीफा की भूमिका

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जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद एंटीफा संगठन के लोग सड़कों पर एकजुट होकर प्रदर्शन के लिए उतर गए। एंटीफा संगठन एक ऐसा संगठन है जिसमें फासीवाद, नाजीवाद और रंगभेद को लेकर आए दिन विरोध प्रदर्शन करते रहते हैं। इनका प्रदर्शन अधिकतर शांति पूर्वक रहता है, लेकिन कई बार हिंसा और आगजनी पर भी उतर आते हैं। जिसको लेकर राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा कि एंटीफा को आतंकी संगठन घोषित करने के लिए विचार किया जा रहा है। ट्रंप ने हिंसा के पीछे वामपंथी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया है, जिन्हें आमतौर पर एंटीफा कहा जाता है।
उन्होंने रविवार को एक ट्वीट में कहा “अमेरिका एंटीफा को आतंकवादी संगठन के रूप में घोषित करेगा।”

राष्ट्रपति ट्रंप ने क्या कहा

ट्वीट

डॉनल्ड ट्रंप ने कहा कि जो कुछ भी हुआ उसको लेकर हमें दुख है और इंसाफ भी किया जाएगा,लेकिन जिस प्रकार से प्रदर्शन में दंगे लूटपाट और आगजनी की खबरें आ रही हैं, इसको बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसलिए हजारों की संख्या में सेना को उतारने का फैसला किया गया।

राष्ट्रपति ट्रम्प का यह भी कहना है कि इस प्रदर्शन का फायदा उठाकर कुछ आतंकवादी संगठन मासूम लोगों को निशाना बना रहे हैं, जिसके कारण निर्दोष लोग घायल हो रहे हैं और प्रदर्शन उग्र होता जा रहा है।

जॉर्ज फ्लॉयड के क्या थे आखिरी शब्द

जॉर्ज फ्लॉयड आखरी दम तक यह कहता रहा था कि “मैं सांस नहीं ले पा रहा” (I can’t breathe) इसके बावजूद भी उसके गर्दन को एक पुलिसकर्मी घुटने से दबाए रखा। पुलिसकर्मी ने उसके गर्दन को तब तक दबाया रखा जब तक उसकी सांस नहीं टूट गई।

गौरतलब है कि प्रदर्शनकारियों ने जॉर्ज फ्लॉयड के आखरी शब्द को मुख्य नारा बनाकर प्रदर्शन कर रहे हैं।

आखिर क्या है पूरा मामला

दरअसल, बीते 25 मई को 20 डॉलर का नकली नोट इस्तेमाल करने के आरोप में अश्वेत अमेरिकन जॉर्ज फ्लॉयड को पुलिस ने हिरासत में लिया था। घटना के कई वीडियो सामने आए इसमें एक पुलिसकर्मी 7 मिनट तक जॉर्ज के गले पर घुटना रखे दिखाई दिया। जॉर्ज ने यह कहते-कहते दम तोड़ दिया कि ‘मैं सांस नहीं ले पा रहा हूं’, लेकिन आरोपी पुलिस ऑफिसर डेरेक शॉविन को तरस नहीं आया।
जॉर्ज की मौत के बाद लोग पुलिस के इस रंगभेदी अत्याचार के खिलाफ सड़कों पर हैं। हालांकि, विरोध प्रदर्शन की आड़ में कई जगह हिंसा, आगजनी, दुकानों में तोड़फोड़ और लूटपाट की घटनाएं भी सामने आई हैं। बीते तीन दिनों में विरोध प्रदर्शन राजधानी वॉशिंगटन तक पहुंच गया और एहतियातन औए तौर पर वाइट हाउस को बंद करना पड़ा।