6 नवम्बर 2013, कोलकाता का इडेन गार्डेन। मैदान में सामने वेस्टइंडीज की टीम थी जो BCCI के विशेष अनुरोध पर भारत खेलने आई थी। कई मायनों में यह मैच खास था। एकतरफ जहाँ सचिन तेंदुलकर अपना 199वां टेस्ट मैच खेल रहे थे तो वहीं रोहित शर्मा भारत के लिए टेस्ट प्रदार्पण कर रहे थे। अपने पहले मैच में रोहित शर्मा ने धमाकेदार शतक लगाया। कुछ ही समय पहले आस्ट्रेलिया के खिलाफ लगाए वनडे में दोहरे शतक के बाद एक और रिकार्ड अपने नाम कर लिया था। क्योंकि सचिन की यह आखिरी सीरीज़ थी इसलिए रोहित की यह शानदार बल्लेबाजी कहीं छिपी रह गई।
बचपन में ही लग गया क्रिकेट का चस्का
रोहित शर्मा को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था। क्रिकेट से उनके लगाव के कारण पिता ने उनका एडमिशन क्रिकेट एकेडेमी में करवा दिया था। लेकिन एकेडेमी घर से दूर होने के कारण रोहित शर्मा को आने-जाने में काफी दिक्कत होती थी। जिसके बाद रोहित ने अपने घर से दूर चाचा के घर में रहना शुरु कर दिया था।
रोहित एक इंटरव्यू में बताते हैं कि उनके कोच दिनेश लाड ने उनसे कहा था कि उनको बैटिंग पर भी ध्यान देना चाहिए क्योंकि टीम को एक आल-राउंडर की जरूरत है। इसके बाद से ही उन्होंने बैटिंग पर ध्यान देना शुरु किया। शुरूआती दिनों में रोहित आठ नम्बर पर बल्लेबाजी करने आते थे लेकिन एक मैच में कोच दिनेश लाड ने उनको ऊपर खेलने के लिए भेजा जिसमें रोहित ने 140 रनों की शानदार पारी खेली। जिसके बाद रोहित को लगातार मौके मिलने लगे।
2007 में पहली बार नीली जर्सी पहनी
गुजरात के खिलाफ इन्टर-स्टेट T-20 मैच में रोहित ने शतक लगाया। भारत की तरफ से घरेलू या अंतरराष्ट्रीय T-20 मैचों में पहला शतक था। जिसके बाद उनका सलेक्शन T-20 विश्वकप में हुआ। रोहित आयरलैंड के खिलाफ प्रदार्पण कर चुके थे लेकिन भारतीय क्रिकेट पर अभी छाप छोड़ना बाकि था। विश्व कप में युवराज सिंह चोटिल हो गए थे और साउथ अफ्रीका के खिलाफ उनको बल्लेबाजी क्रम में ऊपर भेजा गया। रोहित ने उस मैच में अर्द्ध-शतक जड़ दिया। लेकिन उसके बाद रोहित बल्लेबाजी से कुछ खास छाप नहीं छोड़ पाए। 2010 में एक बार उनको टेस्ट मैच में खेलने का मौका मिला लेकिन मैच से पहले ही वो चोटिल हो गए और उनके हाथ से यह भी मौका निकल गया। 2011 में भारत 50-50 ओवरों में विश्व चैंपियन बना लेकिन रोहित को उस टूर्नामेंट में मौका नहीं मिला। रोहित इस बीच लगातार टीम में जगह बनाने के लिए संघर्ष करते रहे। हालांकि आईपीएल में उनका प्रदर्शन लगातार अच्छा रहा।
2013 चैंपियन ट्राफी से किस्मत ने लिया U-Turn
2013 में चैंपियन ट्राफी का मैच इंग्लैंड में हो रहा था। धोनी के कहने पर रोहित ने ओपनिंग बैटिंग शुरू की। यह वही साल था जब रोहित ने वनडे मैच में दोहरा शतक जड़ा और टेस्ट क्रिकेट में प्रदार्पण किया। उसके बाद से वनडे और T-20 क्रिकेट में उन्होंने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन टेस्ट क्रिकेट में जूझते रहे।
2013 से 2019 तक रोहित ने वनडे मैच में तीन दोहरे शतक जड़े। T-20 क्रिकेट में 4 शतक लगाए लेकिन फिर भी उन्हें टेस्ट मैचों में जगह बनाने के लिए मेहनत करनी पड़ रही थी।
2019 जब टेस्ट मैच में ओपनिंग करने को मिली
2019 विश्वकप भले ही भारत न जीत पाया हो लेकिन रोहित के लिए यह यादगार टूर्नामेंट रहा। भारत की तरफ से ओपनिंग करते हुए रोहित ने 81 की औसत से 5 शतक और एक अर्द्ध-शतक की मदद से 648 रन बनाए। इसके बाद रोहित को टेस्ट मैचों में भी ओपनिंग करने का अवसर मिला जहाँ 6 पारियों में 3 शतक जड़ दिए। लेकिन रोहित शर्मा की अग्नि परीक्षा तब होगी जब वो विदेशी की धरती पर टेस्ट में ओपनिंग करेंगे।