अभी तक दुनिया भर में कोरोना संक्रमण के कुल मामले 50 लाख से ज्यादा हो चुके हैं। पिछले कुछ सप्ताह से लैटिन अमेरिकी देशों में कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। लैटिन अमेरिकी देशों ने संक्रमण के मामले में अमेरिका और यूरोप दोनों को पीछे छोड़ दिया है।

लैटिन अमेरिकी देशों में फैलता यह संक्रमण अभी तक के पिछले सारे चरम को पार कर चुका है। फरवरी के महीने में चीन में कोरोना का संक्रमण अपने चरम पर था उसके बाद अमेरिका और यूरोप में इस वायरस ने जम कर कहर बरपाया था। वैसे इस वायरस से दुनिया भर के अधिकांश देश प्रभावित हैं। भारत में तो कोरोना वायरस के कुल मामले 1 लाख से ज्यादा हो चुके हैं। वहीं 3 हजार से ज्यादा मौतें इस वायरस के कारण हुई है।

पिछले सप्ताह दर्ज किए गए दुनिया भर के कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले में करीब 30% सिर्फ लैटिन अमेरिकी देशों के थे। वहीं करीब 20% मामले यूरोप से भी थे और साथ ही करीब 20% ही मामले अमेरिका के भी रहे।

कोरोना संक्रमण का मामला ब्राजील में भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। अभी हाल में ही प्रदर्शित किए गए आंकड़ों में ब्राजील में कोरोना संक्रमितों की संख्या जर्मनी , फ्रांस और ब्रिटेन में संक्रमितों की संख्या से ज्यादा दर्ज की गई । हालांकि यह आंकड़ा अमेरिका और रूस में दर्ज किए गए संक्रमण के मामले से कम है। वैसे ब्राजील में यह वायरस काफी तेजी से बढ़ रहा है और इस वायरस के फैलने की रफ्तार अमेरिका में संक्रमण के फैलने के रफ्तार के बराबर ही है।

जनवरी महीने की 10 तारीख तक चीन के वुहान शहर में सिर्फ 42 मामले दर्ज किए गए थे लेकिन यह घातक वायरस इतनी जल्दी दुनिया भर में फैला कि 1 अप्रैल तक करीब 10 लाख से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हो चुके थे । समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक चीन से फैला यह वायरस अब करीब 10 लाख लोगों को हर दो सप्ताह में संक्रमित कर रहा है।

हर साल फैलने वाले मौसमी फ्लू के कारण दुनिया भर में करीब 30 लाख से 50 लाख लोग प्रभावित होते हैं । लेकिन कोरोना वायरस ने सिर्फ 6 महीने में ही इस आंकड़ें को पार कर लिया है जो कि काफी चिंताजनक है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहले ही आगाह कर दिया था कि कोरोना वायरस के मामले जल्दी नहीं थमेंगे ।

इस महामारी ने अबतक करीब 3.5 लाख लोगों की जान ले ली है। हालांकि यह संख्या काफी ज्यादा हो सकती है क्योंकि ढ़ेर सारे देशों ने मृतकों का आंकड़ा ठीक ढंग से लोगों के सामने नहीं रखा है। सिर्फ हॉस्पिटल में ही मरने वाले लोगों की संख्या को सरकारी आंकड़ों में दिखाया गया है। ये संख्या इसलिए भी ज्यादा हो सकती है क्योंकि कोरोना की जांच कई देशों में पर्याप्त संख्या में नहीं हो रही है । दुनिया भर में कोरोना से हुई मौतों में आधे से अधिक संख्या यूरोपीय देशों की है। बेतहाशा बढ़ते संक्रमण के मामले और करीब 2 लाख मौतों के बावजूद भी कई देश अपने यहां लॉकडाउन को खत्म करने पर मजबूर हैं । साथ ही कई देशों में कुछ सप्ताह के लॉकडाउन के बाद स्कूल, कॉलेज और ऑफिस खोल दिए गए हैं। लेकिन लोग अभी भी भीड़ भाड़ वाली जगह जाने से एहतियात बरत रहे हैं और कहीं- कहीं तो 50 से ज्यादा लोगों के एक साथ इक्कठा होने की मनाही है। पिछले ही सप्ताह ऑस्ट्रेलिया में लॉकडाउन खत्म कर दिया गया और वहां सभी आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने की अनुमति दे दी गई। वैसे अभी भारत में लाॅकडाउन का चौथा चरण चल रहा है लेकिन कुछ- कुछ गतिविधियों के लिए आंशिक छूट दी गई है। साथ ही करीब 200 ट्रेनों को भी चलाने की अनुमति दी गई है जिससे पैदल अपने घर वापस जाने वाले मजदूरों को थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। भारत में करीब 8 सप्ताह से ज्यादा समय से लगे लॉकडाउन की वजह से मजदूर वर्ग भारी आर्थिक संकट से जूझने लगे थे जिसके कारण वह पैदल ही अपने घर को जाने को मजबूर हो गए थे।

कोरोना वायरस की वैक्सीन पहला ट्रायल अमेरिका में किया गया था जिसके तुरंत बाद आर्थिक बाजारों में भारी उछाल देखा गया। हालांकि वैक्सीन कब तक लोगों के लिए उपलब्ध हो पाएगी यह अभी तक साफ नहीं है।

 

(इस खबर को रॉयटर्स के हवाले से लिखा गया है।)