प्रतीकात्मक तस्वीर (साभार: Central Banking)

पिंकी

मानव प्रारंभिक रूप से एक सामाजिक प्राणी रहा है बीतते कुछ समय के साथ ,यह संपर्क विश्व के कोने कोने तक हो गया है। इस फैलाव का मुख्य कारण वैश्वीकरण या भूमंडलीकरण है। आज वैश्वीकरण ने सभी मौजूदा सामाजिक संस्थाओ के साथ-साथ आर्थिक,राजनीतिक व सांकृतिक क्षेत्रों में व्यापक बदलाव उत्पन्न किया है।
विश्व के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में विचारों,पूंजी,वस्तुओं और लोगों प्रवाह के रूप में देखा जाता है। यह एक बहुआयामी अवधारणा है। ब्रिटिश राजनीतिक वैज्ञानिक डेविड हेल्ड ने वैश्वीकरण को आधुनिकता का परिणाम माना है जिसे एकल आकस्मिक कारक और बहु-आकस्मिक कारकों के कारण माना जा सकता है।

वैश्विकरण अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों के लिए व्यवसाय को बढ़ाने, तकनीकी वृद्धि, अर्थव्यवस्था में सुधार करने आदि का तरीका है। इस तरह से, निर्माणकर्ता या उत्पादक अपने उत्पादों या वस्तुओं को पूरे विश्व में बिना किसी बाधा के बेच सकते हैं। यह व्यवसायी या व्यापारी को बड़े स्तर पर लाभ प्रदान करता है, क्योंकि उन्हें ग्लोबलाइजेशन (वैश्विकरण) के माध्यम से गरीब देशों में आसानी से कम कीमत पर मजदूर मिल जाते है। यह कम्पनियों को बड़े स्तर वैश्विक बाजार में अवसर प्रदान करता है। यह किसी भी देश को भागीदारी, मिश्रित कारखानों की स्थापना, समता अंशों में निवेश, उत्पादों या किसी भी देश की सेवाओं का विक्रय आदि करने की सुविधा प्रदान करता है।
आज हम जिस वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का सामना कर रहे है यह वैश्विक संपर्क का ही नतीजा है यदि हम वैश्विक समस्याओं से निजता पाना है। तो हमें यह ध्यान रखना जरूरी है कि इसका समाधान भी वैश्विकरण से ही हो सकता है जो सहयोग और कुशलता से वैश्विक मुद्दों का समाधान करेगा।

(लेखिका दिल्ली विश्वविद्यालय किरोड़ीमल कॉलेज की छात्रा हैं।)