तस्वीर - CMO, छत्तीसगढ़ फेसबुक पेज

नम्रता वर्मा

पूरी दुनिया कोविड-19 के संकट से जूझ रही है। दुनियाभर में इस बीमारी के बढ़ते मामले और मौतों की संख्या भयावह है। भारत में भी कोरोना केसों की वृद्धि दर 65 फीसदी के करीब है। पर इन सबके बीच देश भर में छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य बनकर उभरा है, जहाँ इस बीमारी से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जारी आंकड़ो को देखें तो, राज्य के 81 फीसदी जिले “ग्रीन जोन” में है मतलब इन स्थानों पर लॉकडाउन में सर्वाधिक रियायत दी गई है और पिछले 28 दिनों में इन जिलों में कोई नए मामले सामने नहीं आए हैं. कोरोना प्रबंधन में छत्तीसगढ़ पूरे देश में शीर्ष स्थान पर है। राज्य में कोरोना के कुल मरीजों की संख्या 37 थी, जिनमें से 34 व्यक्ति स्वस्थ्य हो चुके हैं। राज्य में अब कुल तीन सक्रिय मामले हैं। संक्रमितों का एम्स रायपुर में इलाज चल रहा है। छत्तीसगढ़ की सीमाएं महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, तेलंगाना और झारखंड से लगती है। आइये जानते हैं कि महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश जैसे सर्वाधिक प्रभावित राज्यों का पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ ने आखिर ऐसे क्या उपाय किये कि राज्य में कोरोना की स्थिति नियंत्रित रही।

दंडाधिकारी कार्यालय, जिला कोरबा, ( आ. जालस्थल)

सबसे पहले लॉकडाउन –

छत्तीसगढ़ उन राज्यों में शामिल है, जहां सरकार ने सबसे पहले “बंद” की घोषणा की। राज्य में 18 मार्च को कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया था और यहां 22 मार्च को देशव्यापी जनता कर्फ्यू से पहले ही सरकार सतर्क हो गई। मामला सामने आने के बाद पूरे इलाके को सील करने के साथ ही शहर बंद करवा दिया गया। 21 मार्च को राज्य में परिवहन सेवाएं तत्काल प्रभाव से बंद कर दी गईं।
24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा के बाद राज्य भर में इसका सख्ती से पालन किया गया। विदेश से और अन्य राज्यों से लौटे लोगों की जानकारी जुटाई गई। राज्यभर में करीब 80,000 लोगों को क्वारंटाइन किया गया।

अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय,रायगढ़

जरूरी सेवाओं की निर्बाध आपूर्ति-

लॉकडाउन लागू होने के बाद नागरिकों को अनाज, फल,दूध, सब्जी, दवाइयां और राशन जैसी अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति बाधित न हो इसलिए प्रशासन ने दुकानों को खोलने के लिए निश्चित समय निर्धारित किया और यह सुनिश्चित किया कि नागरिक सामाजिक दूरी ( सोशल डिस्टेंसिन्ग) का पालन करें। लॉकडाउन के तुरंत बाद ही ग्रामीण इलाक़ों में दो महीने का राशन पहुंचा दिया गया, जिससे जन सामान्य निश्चिन्त रह सकें।

विशेष चिकित्सकीय सुविधाएं –

छत्तीसगढ़ में कोरोना मरीजों के ठीक होने की दर देश के बाकी राज्यों की तुलना में सर्वाधिक है। राज्य में कोरोना संक्रमितों के कुल सैंतीस मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 34 व्यक्ति स्वस्थ्य होकर अब अपने घर लौट चुके हैं। राज्य की राजधानी रायपुर के एम्स में, संदिग्धों की जांच और संक्रमितों का इलाज किया जा रहा है। एम्स के निदेशक डॉ. नितिन एम नागरकर इस पर कहते हैं, कि हमने शुरुआती दिनों में ही पूरी तैयारी कर ली थी, पर्याप्त संख्या में कोरोना आइसोलेशन वार्डस तैयार कर लिए गए थे। इलाज और उचित देखभाल से मरीज जल्द ही ठीक हो रहे हैं। राज्य सरकार ने कोविड -19 के नियंत्रण को लेकर विभिन्न जिलों द्वारा किये जा रहे उपायों पर सतत निगरानी बनाये रखने के लिए टीम गठित की. आईएएस डॉ. प्रियंका शुक्ला के नेतृत्व ने इस टीम ने राज्य भर के बारह जिलों का दौरा कर, स्थानीय प्रशासन द्वारा किये जा रहे उपायों की समीक्षा की और जरूरत के हिसाब से व्यवस्थाएं दुरस्त करवायी। राज्य के जिला मुख्यालय के अस्पतालों में क्वारंटाइन सेंटर और वार्ड बनाए गए, जहाँ चिकित्सकों, नर्सो एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मी मुस्तैदी से तैनात हैं।

हॉटस्पॉट जिलों में विशेष नियंत्रण-

छत्तीसगढ़ में कोरबा जिला हॉटस्पॉट बन कर उभरा। जिले के कटघोरा नामक स्थान पर 25 मामले सामने आए. ये तब्लीगी जमात से संबंधित थे। एक केस सामने आते ही पूरे इलाके को सील करने के साथ इलाके में रहने वाले सभी लोगों की टेस्टिंग की गई। संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने वाले लोगों की पहचान कर उन्हें आइसोलेट किया गया। किसी भी तरह की गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई। कोरबा जिले की कलेक्टर किरण कौशल बताती हैं कि- “हमने स्थिति को नियंत्रित कर लिया है, टेस्टिंग की जा रही है और पिछले दस दिनों से एक भी मामला सामने नहीं आया है।” वहीं कटघोरा एसडीम का कहना है कि “शुरुआत में ही प्रशासन मुस्तैद हो गया था और अधिक से अधिक जांच की गई। जो लोग जांच से घबरा रहे थे उनकी काउंसिलिंग की गई, जांच के लिए सभी तरह की तैयारी थी। मामला सामने आने के बाद संक्रमितों को तुरंत ही रायपुर भेजा गया. तहसील में किसी भी तरह की आवाजाही को प्रतिबंधित कर दिया गया।”

मजदूरों के लिए भोजन और आवास की व्यवस्था-

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर कलेक्टरों द्वारा जिला मुख्यालय में श्रमिकों के लिए राहत शिविरों की व्यवस्था की गई। दूसरे राज्यों से छत्तीसगढ़ लौटने वाले शमजदूरों को राज्य की सीमा पर सुविधाजनक स्थान जैसे स्कूल,आश्रम, हॉस्टल आदि स्थानों में भोजन, ठहरने और और उनके स्वास्थ्य जांच के इंतजाम किए गए। दूसरे राज्यों में फंसे राज्य के श्रमिकों के लिए, वहां के प्रशासन से बात कर भोजन, आवास की व्यवस्था करवायी गई।

छत्तीसगढ़ के नागरिकों की जागरूकता-

प्रयास फलीभूत नहीं होते अगर जन जागरूकता नहीं होती. राज्य आज कोरोना नियंत्रण में देश के शीर्ष स्थान पर है, तो इसका सबसे बड़ा कारण लोगों की सजगता और नियंत्रण उपायों में उनकी सहभागिता है। बस्तर से लेकर अम्बिकापुर तक और राजनंदगांव से लेकर कोरबा तक, राज्य के हर व्यक्ति ने अपने हिस्से की जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन किया और लॉकडाउन का पूर्णतः पालन किया। यह देखना सुखद है कि राज्य की ग्रामीण आबादी सर्वाधिक जागृत है, गांवों में बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर निषेध तो है ही, साथ ही गांव में भी लोग एक दूसरे के घरों में नहीं जा रहे. सामूहिक जीवन के उल्लास में जीने वाले हमारे गांव आज सामाजिक दूरी का भी पालन कर रहे हैं।

क्या है आगे आने वाली चुनौतियां-

राज्य आर्थिक मोर्चे पर दिक्कतों का सामना कर सकता है. उद्योग और कारखाने पूरी तरह से बंद है, कुछ आवश्यक शर्तो के साथ सरकार इसे खोलने पर विचार कर रही है। दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूर, जो राज्य लौटना चाहते हैं, उनकी समस्याओं का निराकरण कैसे हो, इस मोर्चे पर भी सरकार को काम करने की जरूरत होगी। श्रमिक, रेहड़ी और अन्य दैनिक मजदूरी से ही जीवन यापन करने वाले लोगों की जरूरतों की समुचित व्यवस्था हो, इसके लिए भी प्रशासन को ठोस रणनीति बनानी होगी। परिवहन सेवाएं चालू होने के बाद स्क्रीनिंग के पुख्ता इंतजाम हो ताकि दूसरे राज्यों से आने वाले लोग संक्रमण की चेन न बढ़ा सकें, इस पर भी ध्यान देना होगा।

ढाई करोड़ की आबादी वाला यह दण्डकारण्य प्रदेश आज, महामारी से लड़ाई लड़ रहा है, और जीतता भी दिखाई दे रहा है। इसके योद्धा है ,पहले मोर्चे पर काम करने वाले चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मी, पुलिस, प्रशासनिक अमला और स्वच्छतासेवी। इन योद्धाओं के पीछे चट्टान की भांति खड़ी है राज्य की जनता। जागरूकता, तत्परता और स्थिति की गम्भीरता को शीघ्र समझकर निर्णय कर लेने के कारण ही, आज छत्तीसगढ़ ने वैश्विक महामारी के समय खुद को संभाल लिया है।

नम्रता वर्मा भारतीय जन संचार संस्थान में अध्ययनरत हैं।

(यह इनके निजी विचार है)

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