राहुल मिश्रा
कोविड-19 के कारण देशभर में पिछले 1 महीने से पूर्ण बंदी लागू है हवाई सेवाएं रेल सेवाएं कारखाने आदि बंद पड़े हुए हैं। जिसका हमारी अर्थव्यवस्था पर बहुत ही बुरा असर पड़ा है। लाखों की संख्या में मजदूर पलायन कर रहे हैं। इसी बीच अर्थव्यवस्था के सामने आ रही इन्हीं चुनौतियों को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी से खास बात की।
नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी ने राहुल गांधी के साथ बातचीत के दौरान कहा कि सबसे डरावना तो यह है कि इस समय सब कुछ बंद है कोई नहीं जानता कि आने वाले समय में क्या होने वाला है। और इसका सबसे ज्यादा प्रभाव हमारे देश की गरीब जनता पर पड़ेगा हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी को राशन मिले।अभिजीत बनर्जी का यह भी कहना है कि कोई भी भूखा ना रहे इसके लिए हमें अस्थाई राशन कार्ड मुहैया कराना चाहिए।
इस समय सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह एक प्रोत्साहन पैकेज लाए जो की जीडीपी का हमारे कम से कम 10% हो । सरकार को देश के मध्यम एवं लघु उद्योगों के लिए अभी बहुत कुछ करना होगा। अभिजीत बनर्जी ने बताया कि अर्थव्यवस्था के पुनर्जीवन के लिए ख़र्च बढ़ाना एक आसान तरीका होता है जिसके लिए उन्होंने NYAY योजना पर जोर दिया उन्होंने कहा हर किसी को पैसा दिया जाना चाहिए ताकि अर्थव्यवस्था में मांग बढे।
अभिजीत बनर्जी ने बताया कि निचले तबके की 60% आबादी को पैसा देने में कोई बुराई नहीं है क्योंकि अगर वह खर्च करेंगे तभी हमारी अर्थव्यवस्था का पुनर्जीवन होगा। हमें एक बेहतर योजना बनाने की जरूरत है ताकि जब लोग लॉकडाउन के बाद बाहर आए तो उनके हाथ में पैसे हो ताकि वह खरीद सकें। हमें इस महामारी की वास्तविकता के बारे में भली-भांति परिचित होना चाहिए।
अभिजीत बनर्जी ने नगद हस्तांतरण पर जोर देते हुए इंडोनेशिया का उदाहरण दिया उन्होंने बताया कि पैसा किसे देना है,किसे जरूरत है यह समाज तय करें क्योंकि समाज के पास कुछ ऐसी जानकारियां होती हैं जिसका केंद्रीकरण नहीं किया जा सकता। कुछ लोग ऐसे भी हो सकते हैं जो तमाम योजनाओं से बाहर हो ऐसी स्थिति में स्थानीय प्रशासन को हमें संसाधन देने चाहिए ताकि उन लोगों की पहचान हो सके।
प्रवासी श्रमिकों के बारे में अभिजीत बनर्जी का यह कहना है कि कोई नहीं चाहेगा कि इस महामारी के दौरान एक राज्य से दूसरे राज्य जाएं लेकिन सरकारों को एक ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिसके तहत हर प्रवासी मजदूर जब एक राज्य से दूसरे राज्य जाए तो उसकी टेस्टिंग हो। हमें विकेंद्रीकरण पर जोर देना होगा लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
नगद हस्तांतरण के लिए हम जन धन योजना का प्रयोग कर सकते हैं साथ ही साथ हम राज्य सरकारों तथा एनजीओ की भी मदद ले सकते हैं । हालांकि नगर हस्तांतरण के लिए राज्य सरकारों की मदद लेना एक जोखिम भरा कदम हो सकता है लेकिन हमें जोखिम उठाना ही पड़ेगा क्योंकि हम एक बुरी स्थिति में है और जब आप बुरी स्थिति में होते हैं तो निडर होना ही एकमात्र विकल्प है
अभिजीत बनर्जी ने यह भी कहा कि आने वाले समय में कंपनियों को दिवालिया होने से बचाने के लिए कर्ज़ भी माफ करना एक तरीका हो सकता है और अमेरिका यह काम आक्रमक रूप से कर भी रहा है।