जब भी दुनिया में दोषियों के कठोर सज़ा के बारे में बात की जाती है तो उसमें सऊदी अरब का नाम पहले आता है। पर अब वहाँ हर मानवीय पहलुओं पर ध्यान रखते हुए सज़ा को नरम बनाने के साथ ही सामाजिक बदलाव भी किया जा रहा है।
जब से किंग सलमान के बेटे क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का वैचारिक प्रभाव सत्ता पर बढ़ा है तब से बदलाव की लहर कुछ तेज हुई है। पिछले कुछ वर्षों में बदलाव के लिए कुछ विशेष कदम उठाए गये हैं जो इस्लामिक कानूनों के बेहद कट्टरपंथी वहाबी मान्यताओं के विपरीत दिखाई पड़ते हैं।
अब क्राउन प्रिंस सलमान ने नाबालिगों के कोई अपराध करने पर सजा-ए-मौत नहीं देने का नया फ़रमान जारी किया है।
इससे पहले प्रिंस ने दुनिया के सामने देश की बेहतर छवि पेश करने के लिए पहले ही महिलाओं को ड्राइविंग करने, मैच देखने औऱ नए सिनेमा हॉल खोलने जैसे कई बदलाव के उपाय कर चुके हैं।
अभी एक दिन पहले ही वहाँ की सुप्रीम कोर्ट ने कोड़े मारने जैसी कठोर सज़ा को ख़त्म करते हुए कहा था कि इसका मकसद सऊदी शासन को मानवाधिकार के अंतराष्ट्रीय मानकों के करीब ले जाना है।
आज की आधुनिकता को देखते हुए अभी सऊदी अरब को सकारात्मक रूप से बहुत सारे कदम बढ़ाने की आवश्यकता है, जिससे वहाँ महिलाओं को समान स्वतंत्रता के साथ मानवीय मूल्यों का हनन ना हो सके।।