राहुल मिश्रा

कोरोना संकट के बीच जब पूरे विश्व भर में अर्थव्यस्था का पहिया थम सा गया है, कारखाने बंद है, रेल बंद है और इन सब के बीच बीते मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी का देश का नाम सम्बोधन जिसमे उन्होंने 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज को देश को समर्पित किया और साथ ही साथ देश को आत्मनिर्भर बनने की शिक्षा भी दी। प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार मार्च और अप्रैल में वित्त मंत्रलय और भारतीय रिज़र्व बैंक के द्वारा 7 लाख करोड़ के लगभग आर्थिक पैकेज पहले से ही देश को समर्पित किआ जा चूका है।और फिर अगले ही दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की प्रेस कांफ्रेंस शाम के 4 बजे के लगभग जिसमे उन्होंने 1 के बाद 1-15 घोषणायें की जिसमे प्रमुख रूप से उन्होंने MSME ,बिजली कम्पनिया,रियल स्टेट और साथ ही साथ आम करदाता पर ध्यान दिया।

वित्त मंत्री सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने जो घोषणायें की उनसे तीन बाते तो पूरी तरह स्पष्ट है , पहली यह की आत्मनिर्भरता को अब अर्थव्यस्था के केंद्रीय लक्ष्य के तौर पर चिन्हित किआ जा रहा है, दूसरी सरकार MSME को लेकर चिंतित है और तीसरी सरकार अर्थव्यस्था में तरलता को बढ़ाना चाहती है, लेकिन इन सब के बीच सबसे बड़ा सवाल यह की हमारे देश में लगभग 7 करोड़ रेजिस्टर्ड MSME है और वित्त मंत्री के द्वारा जो घोषणाये की गई है उनसे सिर्फ 45 लाख MSME ही दायरे में आयंगे ऐसे में सरकार के लिए अहम है की वो इस क्षेत्र के बारे में और सोचें।

दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सम्बोधन में आत्मनिर्भर शब्द पर अधिक जोर दिया था। आत्मनिर्भरता भारत के लिए इसलिए भी खास है क्योंकि भारत का बाजार बहुत ही बड़ा है और यहां की क्षमताएं भी कई गुना अधिक है और मुल्कों से और साथ ही साथ प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी बताया था कि जब कोरोना बीमारी की शुरुआत हुई थी तब हमारे देश में PPE किट का उत्पादन नाम मात्र का ही था लेकिन आज हमारे देश में हर रोज 200000 PPE किट का उत्पादन हो रहा है| आत्मनिर्भर होने का यह मतलब नहीं कि हम पृथकतावादी सोच अपना लें। कोई भी राष्ट्र सही मायने में आत्मनिर्भर तभी हो सकता है जब उसके लोकल उत्पाद ग्लोबल स्तर पर खुद को एक ब्रांड के रूप में स्थापित कर सकें और यह तभी संभव है जब राज्य की इकोनॉमी इंफ्रास्ट्रक्चर सिस्टम डेमोग्राफी और डिमांड मजबूत हो। वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार स्वदेशी उत्पाद को केवल स्वदेशी ब्रांड के संकुचित दायरे में नहीं रखा गया है , भारत में बनने वाली सभी वस्तुए इसमें शामिल है। जाहिर है उनमे कई विदेशी ब्रांड की वस्तुएं भी होंगी , जिनका उत्पादन देश में , लोगो के द्वारा किया जाता हो। ऐसे उत्पादों को भी कैंटीन और स्टोर्स में जगह मिलेगी

कांग्रेस नेता राहुल गाँधी से बातचीत के दौरान नोबेल पुरुस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने कहा था की सबसे डरावना तो यह है कि इस समय सब कुछ बंद है कोई नहीं जानता कि आने वाले समय में क्या होने वाला है। और इसका सबसे ज्यादा प्रभाव हमारे देश की गरीब जनता पर पड़ेगा हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी को राशन मिले,सभी को पैसे मिले और इस समय सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह एक प्रोत्साहन पैकेज लाए जो की जीडीपी का हमारे कम से कम 10% हो। सरकार को देश के मध्यम एवं लघु उद्योगों के लिए अभी बहुत कुछ करना होगा। अभिजीत बनर्जी ने बताया था की अर्थव्यवस्था के पुनर्जीवन के लिए ख़र्च बढ़ाना एक आसान तरीका होता है जिसके लिए उन्होंने NYAY योजना पर जोर दिया उन्होंने कहा हर किसी को पैसा दिया जाना चाहिए ताकि अर्थव्यवस्था में मांग बढे।

इन सब के अनुरूप सरकार ने यह तय किया है कि लोगों के जेब में पैसे रहे, इसलिए सरकार ने टीडीएस रेट्स में 25 फीसदी की कटौती की है। इससे 50 हजार करोड़ रुपये का लाभ आम जनता को मिलेगा, साथ ही साथ सरकार ने इनकम टैक्स रिटर्न की जो तारीख थी वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए उसको 31 जुलाई 2020 और 31 अक्तूबर 2020 से बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दिया जाएगा। टैक्स ऑडिट को भी 30 सितंबर 2020 से बढ़ाकर 31अक्तूबर 2020 कर दिया जाएगा।

वहीं दूसरी तरफ सरकार ने 3 लाख करोड़ रूपये का गिरवी मुक्त कर्ज का प्रावधान किया है। किसी को अपनी ओर से किसी तरह की गारंटी देने की जरूरत नहीं होगी। इसकी समय सीमा भी चार वर्ष की होगी। इससे 45 लाख इकाइयों को लाभ मिलेगा। एक साल तक मूल धन नहीं चुकाना होगा। वहीं तनावग्रस्त MSME के लिए 20,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि अच्छा कर रहे एमएसएई के लिए फंड ऑफ फंड्स का प्रावधान किया गया है। इसके तहत 50,000 का प्रावधान किया गया है। इससे इन इकाइयों को आकार और क्षमता बढ़ाने का अवसर मिलेगा।सूक्ष्म लघु और मंझोले उघमों का बकाया भुगतान केंद्र सरकार और केंद्रीय सार्वजानिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा 45 दिन में किया जायेगा साथ ही साथ 200 करोड़ तक का टेंडर ग्‍लोबल नहीं होगा। यह एमएसएमई के लिए बड़ा कदम है। इसके अलावा एमएसएमई को ई-मार्केट से जोड़ा जाएगा। इससे लोकल के लिए वोकल के मन्त्र को मजबूती मिलेगी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि सरकार अब अगस्‍त तक कंपनी और कर्मचारियों की तरफ से 12 फीसदी +12 फीसदी की रकम EPFO में जमा करेगी। इससे करीब 75 लाख 22 हजार कर्मचारियों को फायदा मिलेगा। अगस्त तक सरकार ये मदद देगी। सरकार के इस ऐलान का फायदा सिर्फ उन्हीं कंपनियों को मिलेगा, जिनके पास 100 से कम कर्मचारी हैं और 90 फीसदी कर्मचारी की सैलरी 15,000 रुपये से कम है। इसके अलावा बड़ी कंपनियों के लिए EPF योगदान 12-12 प्रतिशत से कम करके 10-10 प्रतिशत किया गया है। लेकिन केंद्र और पब्लिश सेक्टर यूनिट में 12 प्रतिशत ही देंगे। सरकार के इस कदम से 6750 करोड़ रुपए लोगों के हाथ में ज्यादा आएगा। इसमें तर्क साफ़ है की बन्दे की जेब में पैसे होंगे तो कुछ खर्च करेगा और खर्च करेगा तब बाजार में मांग पैदा होगी और बिक्री और लाभ का सुचक्र अर्थव्यवस्था में चलेगा।

वित्त मंत्री ने बताया की नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी, माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के लिए 30,000 करोड़ की विशेष लिक्विडिटी स्कीम लाई जा रही है। NBFC’s, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां या माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट के पास जो धन का अभाव रहता था उसको दूर करने के लिए 30000 करोड़ रुपए की स्पेशल लिक्विडिटी स्कीम लाई गई है जिससे इनके धन की आपूर्ति होगी, इनको बल मिलेगा और आम नागरिक को भी लाभ होगा। एनबीएफसी को 45,000 करोड़ की पहले से चल रही योजना का विस्तार होगा। वहीं आंशिक ऋण गारंटी योजना का विस्तार होगा, इसमें डबल ए या इससे भी कम रेटिंग वाले एनबीएफसी को भी कर्ज मिलेगा। निर्माण के काम के लिए छह महीने तक के लिए एक्सटेंशन दिया जा रहा है। निर्धारित समय में किए जाने वाले काम को तय तारीख से छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया है।

इन सब के बीच प्रवासी मजदूरों को लेकर तेज हो रही राजनीती के बीच सर्कार ने प्रधानमंत्री केयर्स फण्ड से उनके आवागमन , खानपान,चिकित्सा जैसी जरूरतों को पूरा करने के लिए 1000 करोड़ का प्रावधान किया है ,लेकिन फिर सरकार के सामने यह सवाल तो आएगा की हमारे देश के 13 करोड़ गरीबों को अभी तक क्यों नहीं डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिये पैसे दिए जा रहे है। आज मांग बढ़ाने का यह सबसे कारगर उपाय है।

राहुल मिश्रा