बनारस स्थिति काशी विश्वनाथ मंदिर के करीब ज्ञानवापी मस्जिद के पास चल रही खुदाई में मंदिर के अवशेष प्राप्त हुए हैं। टीवी चैनल भारत समाचार के अनुसार ये अवशेष 400 वर्ष पुराने हैं। हालांकि अवशेषों की जांच अभी पुरातत्व विभाग करेगा जिसके बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि अवशेष कितने वर्ष पुराने हैं।
मस्जिद के पास क्यूँ हो रही है ख़ुदाई?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बनारस से सांसद निर्वाचित होने के बाद से काशी विश्वनाथ को विश्व स्तर पर डेवलप करने की बात कही जा रही है। जिसके तहत आसपास के कई घरों और दुकानों का अधिग्रहण किया जा चुका है। आस पास के जमीन को जहां एक तरफ समतल किया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ निर्माण के लिए ख़ुदाई की जा रही है। क्योंकि काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का परिसर एक ही है इसलिए बहुत हद तक संभव है कि निर्माण की दृष्टि से कार्य हो रहा है। काशी विश्वनाथ कारीडोर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट कहा जाता है। जिसके कारण समय-समय पर योगी आदित्यनाथ वाराणसी के दौरा भी करते रहते हैं और विकास कार्यों का जायजा लेते रहते हैं।
क्यूँ अहम है काशी विश्वनाथ मंदिर?
काशी विश्वनाथ मंदिर 12 ज्योतिरलिंगों में से एक है। हिन्दू धर्म में इसका अपना विशेष महत्त्व और मान्यता है। वर्तमान काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण अहिल्याबाई होलकर ने करवाया था। राम मंदिर निर्माण के बाद यह कहा जा रहा था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी विश्वनाथ मंदिर के मुक्ति का अभियान चला सकता है लेकिन संघ ने अभी तक इस पूरे प्रकरण पर कुछ भी नहीं बोला है। कई बार इस तरह की चर्चा सुनाई पड़ती है कि जहाँ ज्ञानवापी मस्जिद है वहीं काशी विश्वनाथ मंदिर है। एक समय यह नारा ‘अयोध्या तो झांकी है काशी मथुरा बाकि है खूब सुनाई पड़ता था।’